
रायपुर राज्य में खेतीबाड़ी के लिए लिए पर्याप्त रासायनिक उर्वरकों की कमी है। इसके लिए अब केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश्ा बघ्ोल ने बुधवार को खाद की कमी को लेकर समीक्षा बैठक ली। इसमें उन्होंने कृ षि उत्पादन आयुक्त को केंद्र से समन्वय करने के निर्देश्ा दिए। साथ ही रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति के लिए पत्र लिखने को कहा है।
खरीफ 2022 में केंद्र से यूरिया, डीएपी, एनपीके, पोटाश और सुपर फास्फेट को मिलाकर कुल 13.70 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की मांग की गई थी, जिसके विरूद्ध छत्तीसगढ़ को मात्र 6.30 मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति केंद्र ने की है। मुख्यमंत्री ने खाद-बीज की उपलब्धता, सिंचाई जलाशयों में जल भराव की स्थिति, खरीफ फसलों के क्षेत्राच्छादन, संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा की।
बैठक में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे भी मौजूद रहे। वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से काफी आगे हैं। रासायनिक उर्वरकों की कमी की पूर्ति काफी हद तक वर्मी कम्पोस्ट की जा सकती है। जानकारों की मानें तो आने वाले समय में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन बढ़ाना होगा।
कृषि उत्पादन आयुक्त डा. कमलप्रीत सिंह ने बताया कि डीएपी उर्वरक की कमी को दूर करने के लिए किसानों को यूरिया, एनपीके, सुपर फास्फेट और पोटाश के साथ वर्मी कम्पोस्ट निर्धारित मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि मनरेगा के तहत भू-जल संरक्षण और संवर्धन की संरचनाएं प्राथमिकता के साथ निर्मित की जाएगी । इससे भू-जल स्तर में सुधार होगा, सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ेगी और ईको सिस्टम के लिए भी लाभदायक होगा।
वन क्षेत्रों में पिछले दो-तीन वर्षाें में कराए गए नरवा विकास के कार्याें के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। तमोरपिंगला और अचानकमार में हाथियों का दल काफी समय से एक स्थान पर है, क्योंकि वहां उन्हें पानी और चारा उपलब्ध हो रहा है। इसी तरह हाथी प्रभावित अन्य क्षेत्रों में भी नरवा विकास के कार्याें को तेजी से करने की आवश्यकता है, इससे हाथी मानव द्वंद्व कम होगा। चारे का उत्पादन करने वाले समूहों को खुले बाजार में चारा बेचने की अनुमति दी जाएगी, इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने किसानों से की फसल बीमा कराने की अपील
मुख्यमंत्री बघेल किसानों से अधिक से अधिक संख्या में फसल बीमा कराने की अपील की। खरीफ वर्ष 2021 में 13.77 लाख किसान द्वारा फसल बीमा के लिए 157.65 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया गया था, जिसे मिलाकर कुल 1199 करोड़ रुपये के प्रीमियम का भुगतान किया गया था, जिसके विरूद्ध चार लाख आठ हजार किसानों को 758.43 करोड़ का बीमा दावा भुगतान किया गया।
इसी तरह रबी 2021-22 में 2.32 लाख किसानों द्वारा 15.96 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया था, इसे मिलाकर कुल 153 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसके विरूद्ध एक लाख 58 हजार पात्र किसानों को 304.49 करोड़ रुपये का प्रीमियम दावा भुगतान किया गया। खरीफ 2022 के लिए किसानों को पिछले वर्ष की तुलना में अब तक 134 प्रतिशत अधिक ऋण वितरित किया जा चुका है।